Sunday, November 20, 2016

बच्चों में बढ़ रहे हैं Cancer के मामले

childhood cancer


दुनियाभर में हर वर्ष दो लाख के करीब बच्चे cancer से ग्रस्त हो जाते है। अकेले भारत में ही यह संख्या 50 हजार से अधिक है। हालाँकि सही समय पर उपचार शुरू कर दिया जाये तो बच्चों के cancer का इलाज संभव है।

cancer के मामले पहले वयस्कों में ही सुनने को मिलते थे। लेकिन बड़ी संख्या में अब बच्चें भी इसकी चपेट में आ रहे है। cancer body के किसी भाग में सामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्दि के कारण होता है। सामान्य परिस्थितियों में body की कोशिकाओं का एक नियंत्रित तंत्र होता है। जब कभी इस तंत्र में गड़बड़ी आती है, तब कार्सिनोजल हमला करने लगते है।

कई तरह का होता है Childhood Cancer

ल्यूकेमिया: अस्थि मज्जा और blood को ल्यूकेमिया कहते है। बच्चों में पाए जाने वाले cancer में यह सबसे आम है। childhood cancer से पीड़ित बच्चों में 30% बच्चे ल्यूकेमिया से ग्रस्त होते है। bones के जोड़ो में pain, थकन, कमजोरी और skin का पीला पड़ जाना आदि इसके प्रमुख लक्षण है। कीमोथेरेपी इसका एकमात्र इलाज है।

Brain and Central System Tumor: यह बच्चों में दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला cancer है। cancer से पीड़ित बच्चों में 26% इसी के मरीज होते है। brain tumor कई प्रकार के होते है। उन सभी के उपचार और स्वरूप अलग-अलग है। इसमे सिरदर्द, उलटी, धुंधला या एक ही चीज दो दिखाई देना, चक्कर आना, चलते समय सहारे की जरूरत पड़ना जैसे लक्षण देखने को मिलते है।

न्युरोब्लास्टोमा: cancer का यह प्रकार शिशुओं और छोटे बच्चों का होता है। यह 10 वर्ष से ज्यादा आयु के बच्चों में शायद ही देखने को मिलता है। पेट में swelling, bones में pain और बुखार इसके लक्षण है। 6% मामले इसी cancer के होते है।

विल्म्स टयूमर: विल्म्स टयूमर सामान्य तौर पर चार या पांच साल के बच्चों को होता है। पेट में गांठ पड़ना, भूख ना लगना, बुखार आदि इसके लक्षण है।

लिम्फोमाज: लिम्फोमा immune system cells में पैदा होता है, जिन्हें लिम्फोसाइटिस कहते है। ये सबसे अधिक लिम्फ नोड्स और टॉन्सिल या थाइमस जैसे दूसरे लिम्फ टिश्यु में शुरू होता है। ये cancer अस्थि मज्जा और body के दूसरे अंगो तक फैल सकता है। इसके लक्षण इस पर depend करते है कि cancer कहां हुआ है। इसके लक्षणों में weight घटना, बुखार, पसीना आना, थकान और गर्दन, कांख या ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) की skin के नीचे गांठ आदि प्रमुख है। 8% मामले इसी के होते है।

रेटिनाब्लास्टोमा: यह आँखों का cancer होता है। आमतौर पर यह दो साल की उम्र के आसपास के बच्चों को होता है। छह वर्ष से ज्यादा की आयु के बच्चों में यह शायद ही देखने को मिले। इससे पीड़ित बच्चों की आँखों पर रोशनी की जाए तो पुतलियां लाल दिखती है। रेटिनाब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों की आँखों का पुतिलियाँ अक्सर सफेद या लाल दिखती है।

Bone Cancer : bone cancer हड्डियों का cancer होता है। यह body के किसी भी अंग से शुरू होकर हड्डियों में फैलता रहता है। यह हड्डियों में फैलता रहता है। यह हड्डियों में swelling और pain पैदा करता है। childhood cancer के 3% मरीज bone cancer से पीड़ित होते है।

उपचार

New Delhi के साकेत स्थित max super specialty hospital के consultant एवं cancer specialist doctor रमनदीप अरोड़ा बताते है कि हर साल 50 हजार बच्चें cancer से ग्रस्त हो जाते हो जाते है। medical science में हुई प्रगति के कारण cancer के मामलों में सफलता की दर काफी बढ़ गई है। यहाँ तक कि यूरोप और अमेरिका में cancer से पीड़ित 80% बच्चे ठीक हो जाते है। cancer के लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल इसलिए भी होता है, क्योंकि इसके लक्षण बेहद सामान्य होते है जैसे कमजोरी, थकान, bones में pain आदि। यही वजह है कि कई बार रोग की सही पहचान और उपचार में देरी हो जाती है। टयूमर और इसके पास के उतकों को हटाने के लिए सर्जरी, टयूमर और cancer की कोशिकाओं को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए radiation therapy और cancer कोशिकाओं की वृद्दि को धीमा करने या नष्ट करने के लिए कीमाथेरेपी cancer के आम उपचार है।






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