Friday, May 22, 2015

Stock Market



I.P.O

कोई भी Company पहली बार पूजी जुटाने के लिए सार्वजनिक निर्गम जारी करती है तो इसे ‘ initial public offer   ‘(I.P.O) कहते है। सार्वजनिक निर्गम में जिन आवेदकों को share का आवटन होता है। share की सुचिबद्रता के बाद share market के जरिये उन्हें खरीदा बेचा जा सकता है।सुचिबद्रता के बाद होने वाले सोदों को secondary market कहा जाता है। company  जब अपने विधमान शेयरधारको को ही share प्रस्तावित करती है तो ऐसे निर्गम को राईट निर्गम कहा जाता है। company जब निरंतर profit अर्जित करने वाली होती है तो वर्ष दर वर्ष लाभ में से कुछ हिस्सा शेयर धारको को बतोर लाभांश वितरित करती रहती है बचे हुए लाभ का हिस्सा जब सचित होता है ओर उस सचित राशी का पुजिकरण करके उस राशी से अपने विधमान शेयर धारको को निधारित किये गये ratio में share निशुल्क आवंटित किये जाते है तो इसे bonus share कहा जाता है।

Company को अपने I.P.O. के लिए grading करवानी पडती है ये ग्रेडिग crisil  सहित विभिन्न ग्रेडिग company के fundamental के आधार पर एक से पांच के क्रम में दी जाती हैइसमे पहले क्रम की कंपनी fundamental की नजर से कमजोर समझी जाती हैजबकि grade 2 साधारण,grade-3 अच्छी company होने का परिचायक है। grade-4 व grade-5 की company का fundamental मजबूत ओर उल्लेखनीय स्तर का परिचायक है

शेयर धारक को जब इसके खरीदने के 12 महीने के अंदर बेचकर profit कमाता है तो ऐसे profit पर short term  केपिटल लाभ कमाया जा सकता हैइस पर कोई tex नही लगता
जो निवेशक खरीदे गये share को बारह महीने के बाद बेचकर उस पर profit कमाते है तो ऐसे profit पर कोई tex नही लगता इसे long term केपिटल गेन कहा जाता है
 
Sensex 

Sensex B.C.E या benchmark सूंचकांक है,जिसमे 12 महत्वपूर्ण औधोगिक क्षेत्रो की 30 bluechip  कंपनियों का समावेश है,जिसके कारन इसे market में उतार-चड़ाव का बैरोमीटर समझा जाता है। sensex की घट-बढ़ बाज़ार की मंदी या तेज़ी दर्शाती है

Tips 

लोग एक दुसरे को कहते रहते है की कोन सा share तीन महीने में double हो जायेगा, market की भाषा में ऐसी   सलाह को tips कहा जाता है

अधिमानित share (प्रिफरेंशियल share) 

अधिमानित share पर आदमी को एक निशिचत डर से लाभांश प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इस तरह के शेयरधारक को profit में से सबसे पहले हिस्सा मिलता है इस शेयरधारक यानि आदमी को company का हिस्सेदार नही माना जाता है। profit के आधार पर अधिमानित share भी तीन तरह के होते है। 

1 असंचयी अधिमानित share(non cumulative प्रिफरेंशियल share)
  
यदि company किसी कारणवश पहले साल profit नही कमाती है ओर इसकी जगह दुसरे साल में profit   कमाती है इस हालत में आदमी दोनों वर्ष में profit प्राप्त करने का दावा नही कर सकते है

2 संचयी अधिमानित share (cumulative प्रिफ्रेशियल share)
 
यदि संस्था या company किसी वजह से पहले वर्ष लाभ नही कमाती है ओर दुसरे वर्ष profit की हालात में आती है तो इस हालत में आदमी को दोनों वर्ष profit प्राप्त करने का दावा कर सकते है

3 विमोचनशील अधिमानित share(तिदीम्ड cumulative प्रिफरेंधियल share) 

इस तरह के शेयरधारक को उसकी पूंजी का निशिचत समय के बाद लाभांश के साथ लोटा दी जाती हैइस प्रकार के शेयरधारको का company से जुडाव पूरी तरह अल्पकालिक होता है ओर company की इच्छा पर निभर करता है

Equity share

इस share को आमतौर परordinary share के नाम से भी जाना जाता है। equity share ही किसी company में हिस्सेदारी को निधारित करती हैवास्तव में equity शेयरधारक company के हितो व् अहितो से सीधा जुड़ा होता है ओर company के लाभ हानि का उस पर सीधा प्रभाव पड़ता हैइसे company के फैसलों पर अपनी राय और मत देने का अधिकार प्राप्त होता है

ध्यान देनेवाली बात ये है की equity शेयरधारको को उनका profit अधिमानित शेयरधारको को उनका profit लाभ देने के बाद भी मिलता हैआजकल share शब्द का अर्थ equity share से भी लगाया जाता है

Bonus Share का फायदा  

जब company को वर्ष में बहुत ज्यादा profit होता है तो ऐसे में company के पास लाभांश का वितरण करने के बाद भी काफी धन शेष रह जाता है इस लाभांश को बाटने के लिए उन्हें equity share की शक्ल दे दी जाती है ओर उन्हें ratio में शेयरधारको के बीच बाँट दिया जाता है इस अतिरिक्त share को ही bonus share कहते है।इस प्रकिया में company के शेयरधारको की सख्या में कोई बदलाव नही होता हैलेकिन आदमी के share  की सख्या अधिक हो जाती है

Right Issue का माजरा 
  
आदमी जिस company में धन लगाया है वह company नये share जारी करती है लेकिन company हिस्सेदारों की सख्या नही बढ़ाना चाहती है। ऐसी स्थिति में company अपने पुराने शेयरधारको को ही उनके share के ratio में नये share जारी कर देती है। इन share को अंकित मूल्य के बराबर या फिर बाज़ार मूल्य से कम दाम पर शेयरधारको को मुहैया करवाया जाता है ये share ही right issue कहलाते है

बाज़ार प्रतिष्ठा और बाज़ार मूल्य

share की खरीद फरोख्त के आधार पर दो तरह के market होते है
1-       कोई भी company अपने share प्राथमिक बाज़ार या primary market में ही जारी करती हैप्रत्येक share पर एक निशिचत मूल्य अंकित होता है जिसे company का प्रमोटर्स निधारित करता है अगर आदमी अपने share सीधे company से खरीदते है तो यह सोदा primary में होगा
2-       Secondary market में share का मूल्य अंकित मूल्य से ज्यादा होगा क्योकि ये company से बाहर से खरीददारी होती हैओर इसके price कंपनी के value पर होती है

Demat

Demat का अर्थ Dematerialization से लगाया जाता है इसका मतलब है की आपको किसी company की सम्पति अमौखिक या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त हो गई हैउसी का हिसाब रखने के लिए demat account की व्यवस्था की गई है। demat account खुलवाने के लिए आपको निकतम depository तक अपनी पहुच बनानी होगी  


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